दीपिका पादुकोण ने समय-समय पर यह साबित किया है कि वह न केवल अपने प्रशंसकों के लिए एक आदर्श है बल्कि एक आदर्श बेटी भी है।
अभिनेत्री अपने व्यस्त शेड्यूल से वक़्त निकालकर अपने परिवार के साथ समय बिताने का कोई भी मौका अपने हाथ से जाने नहीं देती। वह न केवल उनसे मिलती है बल्कि उनके साथ यात्रा भी करती है।
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दीपिका ने पवित्र प्रार्थना के लिए अपनी मां के साथ गंगा घाट का भी दौरा किया था। इतना ही नहीं, दीपिका ने अपने तंग शेड्युल से समय निकालकर शिफ़्टिंग में भी परिवार की मदद की थी जब उनका परिवार बंगलोर में एक घर से दूसरे घर में शिफ़्ट हो रहा था।
हाल ही में, दीपिका पादुकोण ने पद्मावत की रिलीज के तुरंत बाद दिल्ली का दौरा किया था जहाँ उनके पिता जी को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाज़ा गया था और दीपिका यह यादगार मौका अपने हाथ से गवाना नहीं चाहती थी।
फादर्स डे के अवसर पर जब उनसे पूछा गया कि क्या वो अपने पिताजी की छोटे परी है और फिर या एक मजबूत समर्थन प्रणाली? तो अभिनेत्री ने कहा,”मुझे लगता है कि दोनों ही चीज़ से थोड़ी-थोड़ी हूँ। मैं कहना चाहूँगी कि हमारा एक पौष्टिक रिश्ता है। कुछ स्थितियों में, मैं उनकी नन्ही परी हूँ और कुछ परिस्थितियों में मुझे खड़ा रहना पड़ता है चाहे वो भावनात्मक रूप से हो या फिर कुछ ओर। कभी-कभार एक दूसरे के साथ मस्ती मज़ाक करना और एक दूसरे की टांग खिंचाई करना, तो कभी बड़े होते वक़्त मेरे गलत व्यवहार के लिए मुझे गोदाम में बंद कर देना। एक पिता से ले कर दोस्त तक, हम हर रिश्ता शेयर करते है। कुछ इस तरह हम एक पौष्टिक रिश्ता साझा करते है।”
दीपिका उस वक़्त बहुत छोटी थी जब उसने अपने निवास स्थान बैंगलोर से मुम्बई में शिफ़्ट किया था और इसी के साथ दीपिका पापा की नन्ही परी से मजबूत व्यक्ति में तब्दील हो गयी थी। वह देश की सबसे अधिक फीस लेने वाली अभिनेत्री बन गयी है इसिलए सब फ़ैसले खुदबखुद लेना थोड़ा मुश्किल होगा जो न केवल उसे प्रभावित करेगा बल्कि उनके परिवार पर भी असर डालता है। इस बारे में दीपिका ने कहा,” सिर्फ पिता का नहीं लेकिन माता पिता दोनो का अनुमोदन, ज़ाहिर है, कि मायने रखता है। इसका मतलब मेरे लिए यह है कि मेरी ज़िंदगी के हर दूसरे पहलू में, उनका अनुमोदन या अस्वीकृति मायने रखता है और उन्हें सब चीज़ के लिये लूप में रखना बहुत बहुत महत्वपूर्ण है। और उससे भी बड़ी बात मेरे साथ उनका आशीर्वाद है। मैं आज जहाँ भी हूँ, उनके समर्थन प्रणाली के बिना यह मुमकिन नहीं था। अगर मैं लगातार यह चिंता करती कि मेरे माता-पिता क्या सोच रहे है क्या वो ठीक है या फिर मेरे कैरियर विकल्प से उदास है, तो मुझे नहीं पता मेरा सफ़र आज जो है वह वैसा होता भी या नहीं। मैं यह नहीं कह रही कि यह सफ़र ऐसा नहीं होता या फिर कुछ और, लेकिन सच तो ये है कि दोनो ही मेरे सबसे बड़े सहायक रहे है और मेरे जीवन मे उनका बहुत बड़ा प्रभाव है। माता पिता के रूप में उन्हें सूचित रखना चाहिए कि आप क्या कर रहे हैं। वह कभी भी मेरे काम मे दखलंदाजी नहीं करते है। मेरे कैरियर के 10 सालों में आपने शायद उन्हें मेरे इर्दगिर्द देखा होगा। उन्हें यकीन है कि मैं सही समय पर सही चीज़ का चयन करूंगी। और निश्चित रूप से, माता पिता के रूप में, वह जीवन के हर पहलू में मेरे साथ रहे है और आगे भी वह मेरा साथ देते रहेंगे। मेरी ज़िंदगी में जो भी हुआ है उसका निर्णय उन्होंने मेरे ऊपर छोड़ा है।”
दीपिका दुनिया भर की यात्रा कर चुकी है, और अपने पिता के लिए कई उपहार खरीद चुकी हैं लेकिन उनके साथ समय बिताना सबसे बड़ा उपहार है। जब उनसे इसके बारे में पूछा गया तो उसने कहा,”मुझे लगता है कि यह हमारा समय है जिसे हम एक साथ बिताते हैं। और मुझे वास्तव में उनके चेहरे पर खुशी देखने मिलती है जब उन्हें मुझे देखने का कुछ वक्त मिलता है। जिस तरह वह घर मे प्रवेश करते है और मज़ाक के साथ वह हँसने लगते है, यह ऐसा कुछ होता है जो हम अक्सर नहीं देखते और भीतर से खुशी महसूस होती है। जब मैं बैंगलोर जाती हूँ तो वह अपनी सभी प्रतिबद्धताओं को एक तरफ रख देते है और ये देख कर मेरी मोम मज़ाक उड़ाने लगती है उन्हें ऑफिस जाने की ज़रूरत नहीं है और वह हमेशा आसपास रहेंगे। वह हमेशा मेरे लिए उपलब्ध रहना चाहते है और ऐसा कोई एजेंडा नहीं है कि हम कही बाहर जाएंगे या कुछ और, बस उन्हें आसपास रहना पसंद है। वह मेरे साथ समय बिताने के लिए इक्छुक रहते है और एयरपोर्ट छोड़ने जैसी छोटी छोटी चीज़े करते है क्योंकि एयरपोर्ट जाने के लिए 40-45 मिनट का वक़्त लगता है और हमें एक दूसरे के साथ समय बिताने का मौका मिलता है। ऐसी ही सरल बातें और एक-दूसरे की उपस्थिति में रहना हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है।”