क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विवादास्पद व्यक्तित्व रहे हैं। जहाँ बहुत से लोग उन्हें महान क्रांतिकारी व देशभक्त मानते हैं वहीँ ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो उन्हें सांप्रदायिक मानते हैं और महात्मा गाँधी की हत्या से जोड़ कर देखते हैं। सत्य जो भी तथ्य ये है कि हिन्दू राष्ट्र और हिंदुत्व की विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने का श्रेय सावरकर को ही जाता है। आइये आज हम पर वीर सावरकर के जीवन के बारे में विस्तार से जानते हैं!
नाम – विनायक दामोदर सावरकर
जन्म- 28 मई 1883 ,ग्राम भागुर, जिला नासिक बम्बई प्रान्त ब्रिटिश भारत
मृत्यु- फ़रवरी 26, 1966 (उम्र 82) बम्बई, भारत
शिक्षा- कला स्नातक, फर्ग्युसन कॉलिज, पुणे बार एट ला लन्दन
क्या थे- क्रान्तिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, चिन्तक, लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता
उपलब्धि- क्रन्तिकारी संगठन “अभिनव भारत” की स्थापना, अखिल भारत हिन्दू महासभा के प्रेसिडेंट
वीर सावरकर के दो भाई थे। जिनमे एक का नाम गणेश सावरकर और दूसरे का नाम नारायण सावरकर था। वह जब केवल नौ वर्ष के थे, तभी हैजे की महामारी के कारण उनकी माँ का देहांत हो गया। और उसके करीब सात वर्ष बाद, वर्ष 1899 में प्लेग महामारी के चलते उनके पिताजी का भी स्वर्गवास हो गया। पिता की मृत्यु के बाद परिवार चलाने का कार्यभार बड़े भाई गणेश सावरकर ने संभाल लिया था।
1901 में वीर सावरकर का विवाह यमुनाबाई से हुआ। उनके दो पुत्र और एक पुत्री थी। पुत्रों का नाम प्रभाकर, और विश्वास था जबकि पुत्री का नाम प्रभा चिपलूणकर था। यमुनाबाई के पिताजी ने वीर सावरकर की काफी आर्थिक मदद की और उनकी उच्च शिक्षा का खर्च भी वहन किया।
वीर सावरकर की विश्वविद्यालय की पढ़ाई का भार उनके ससुर ने उठाया था। उन्होने फर्ग्यूसन कॉलेज से बी.ए (कला क्षेत्र) की उपाधि प्राप्त की थी। वर्ष 1909 में वीर सावरकर ने लंदन जा वकालत की डिग्री हासिल की।
वीर सावरकर जीवनी पर आधारित फिल्में
- वर्ष 1958 में फिल्म फेयर अवॉर्ड जीतने वाली हिन्दी फिल्म “काला पानी” प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म में नायक की भूमिका देव आनंद और नायिका की भूमिका मधुबाला नें निभाई थी।
- वर्ष 1996 में भी प्रासिद्ध मलयालम निर्देशक प्रियदर्शन के द्वारा निर्देशित फिल्म “काला पानी” बनाई गयी थी जिसमे अन्नु कपूर ने नायक “वीर सावरकर” की भूमिका निभाई थी।
- 2001 में ही वीर सावरकर के ऊपर वेद राही और सुधीर फड़के द्वारा एक बायोपिक बनायी गयी जो काफी वर्षों बाद रिलीज हो पायी।
वीर सावरकर ने 82 वर्ष की आयु में 1 फ़रवरी 1966 को मृत्युपर्यन्त यानि जब तक मौत ना हो जाए तब तक उपवास करने का प्रण लिया। जाहिर है कोई आम इंसान इस निर्णय पर टिका नहीं रह पाता लेकिन एक सिद्ध योगी के सामान सावरकर अपने प्रण पर टिके रहे और 26 फरवरी, 1966 को ईहलोक छोड़कर परलोक सिधार गए।
(सौजन्य)